Luis Peñalever Collazo (Cuba), America Latina, Unete! 1960.-4

लुइस पेनल्वर कोलाज़ो (क्यूबा), लैटिन अमेरिका, एकजुट हो! 1960.

 

प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जून 2020 का अपना अपडेट जारी कर दिया है। पूर्वानुमान निराशाजनक है। साल 2020 की अनुमानित वैश्विक विकास दर -4.9% है, IMF द्वारा अप्रैल महीने में जारी पूर्वानुमान से 1.9% कम। IMF ने माना है कि, ‘COVID​​-19 महामारी का 2020 की पहली छमाही में [आर्थिक] गतिविधियों पर प्रत्याशित प्रभाव की तुलना में अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।’  साल 2021 के लिए 5.4% का पूर्वानुमान कुछ उम्मीद जगाता है, जो कि IMF द्वारा जनवरी 2020 में अनुमानित 3.4% से अधिक है। IMF के अनुसार, ‘कम आय वाले घरों पर सबसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।ग़रीबीउन्मूलन अब अहम एजेंडा नहीं रहा। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट का अनुमान और भी कम है; इसके अनुसार 2020 के लिए -5.2% का अनुमानित  विकास दर, आठ दशकों में सबसे गहरी वैश्विक मंदी की ओर इशारा करता है। साल 2021 के लिए विश्व बैंक का अनुमानित विकास दर 4.2% का है, जो IMF के अनुमान 5.4% से कम है।

एक के बाद एक वार्षिक रिपोर्ट जारी हो रही हैं, और हर अगली रिपोर्ट पिछली रिपोर्ट ज़्यादा निराशाजनक लगती है। IMF ने पहले वर्तमान विश्व आर्थिक स्थिति कोग्रेट लॉकडाउनकहा था; और अब बैंक ऑफ़ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स ने अपनी रिपोर्ट में इसेग्लोबल सडन स्टॉपकहा है। दोनों ही नाम, विश्व अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्सों के धीमे हो जाने या रुक जाने की ओर इशारा करते हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने वैश्विक व्यापार गतिविधि में 32% की गिरावट की भविष्यवाणी की थी, लेकिन अब लगता है कि केवल 3% की ही कमी आई है (वैश्विक व्यावसायिक उड़ानों में जनवरी से मध्य अप्रैल तक 74% की कमी आई थी, और उसके बाद से इस क्षेत्र में मध्य जून तक 58% की वृद्धि हुई है, और कंटेनर पोर्ट यातायात मई महीने की बजाये जून में पूरी तरह चलने लगा था) डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रॉबर्टो अज़ेवाडो का कहना है, ‘हालात इससे भी ज़्यादा बुरे हो सकते थे।

 

Chess in the time of COVID. Venezuela 2020. Dikó / CacriPhotos

डिको, कक्री फ़ोटोज़ (वेनेजुएला), कोविद के समय में शतरंज, काराकस, 2020.

 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ग़लत नहीं हो सकता; स्थिति वाक़ई इतनी ख़राब है, बल्कि पूर्वानुमान से ज़्यादा ही ख़राब हो सकती है। COVID-19 और काम की दुनिया विषय पर जुलाई की शुरुआत में हुए एक सम्मेलन के बीज वक्तव्य में, ILO का कहना है कि महामारी से कम-से-कम 30 करोड़ 50 लाख नौकरियाँ ख़त्म हुई हैं, जिनका प्रभाव धीरे लेकिन निश्चित रूप से अमेरीकियों पर पड़ रहा है। यह आँकड़ा बहुत कम है; वास्तविकता ये है कि कामकाजी उम्र के आधे लोग पर्याप्त आय के बिना जी रहे हैं। ILO ने लिखा है कि, काम के मामले में, ‘वायरस का सबसे बुरा और क्रूर प्रभाव सबसे वंचित और सबसे कमज़ोर तबक़े पर पड़ा है, जिसने ग़ैरबराबरी का विनाशकारी परिणाम भी उजागर कर दिया है।’

बीस करोड़ श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं (दस कामकाजी लोगों में से छः लोग); ILO की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 16 करोड़ लोगोंके सामने आजीविका का ख़तरा है, क्योंकि महामारी के पहले महीने में अनौपचारिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में औसतन 60% गिरावट आई थी। इससे ग़रीबी में नाटकीय वृद्धि हुई है, और अप्रैल में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि अगली महामारी भूखमरी की महामारी हो सकती है’, जिसके बारे में हमने अपने बीसवें न्यूज़लेटर में लिखा था।

 

Shoppers at the market pay to be disinfected. Rodríguez Market, La Paz, Bolivia, 2020. Carlos Fiengo

कार्लोस फ़िएन्गो (बोलीविया), बाज़ार में ख़रीदार संक्रमण से बचने के लिए पैसे दे रहे हैं। रॉड्रिग्ज़ मार्केट, ला पाज़, बोलीविया, 2020.

 

कोरोनावायरस मंदी के असमान नकारात्मक प्रभाव को समझने की आवश्यकता है। हाल ही में एक साक्षात्कार में, IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि अफ्रीका की अर्थव्यवस्थाओं में 3.2% संकुचनकम-से-कम 1970 के दशक से अफ्रीका में सबसे भारी नुक़सान है।दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था महामारी से पहले ही गिरने लगी थी और अब स्थिति काफ़ी तनावपूर्ण है; वित्त मंत्री टीटो म्बोवेनि ने कहा कि 2020 में 7.2% तक संकुचन हो सकता, जो कि देश में पिछले सौ सालों की सबसे बड़ी गिरावट होगी। इस स्थिति से बाहर आने के लिए, म्बोवेनि ने बजट कटौतियों का रास्ता चुना है। अर्थशास्त्री ड्यूमा गक्कुले ने न्यू फ़्रेम में लिखा है कि इन कटौतियोंके कारण सार्वजनिक सेवाएँ ध्वस्त हो जाएँगी और बेरोज़गारी, ग़रीबी और असमानता बढ़ेगी जिससे देश एक आर्थिक बंजर भूमि में बदल जाएगा।

IMF और अंतर्राष्ट्रीय लेनदारों के बढ़ते दबाव में घाना के वित्त मंत्री केनओफ़ोरीअट्टा ने कहा कि एक तरफ़ अमीर देशों को अर्थव्यवस्था बनाए रखने के लिए ऋण बढ़ाने दिया जाता है, लेकिन घाना जैसे देशों को ऋण भुगतान करने, बजट कटौतियाँ करके नियम से चलने पर ज़ोर दिया जाता है। ओफ़ोरीअट्टा ने जॉर्ज फ़्लॉयड के अंतिम शब्दों को जान बूझकर दोहराते हुए कहा कि मैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ” आपको वास्तव में चिल्लाने का मन करता है।’

ऋण रद्द करना, जो कि आज के समय में सबसे अहम मुद्दा है, एजेंडे में कहीं नहीं है। बल्कि अमेरिका के ट्रेज़री विभाग ने IMF को स्पष्ट कर दिया है कि कोरोनावायरस मंदी की मार झेल रहे कम नक़दी धन वाले देशों के विशेष आहरण अधिकार (SDR) का 1 ट्रिलियन डॉलर देना मुमकिन नहीं है। अमेरिकी ट्रेज़री ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऋण राहत निजी क्षेत्र का मामला है जिसे लेनदारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। इसलिए आश्चर्य नहीं कि दक्षिणी गोलार्ध के देशों में अर्थव्यवस्थाओं और लोगों के द्वारा महसूस की जा रही घुटन के लिए ओफ़ोरीअट्टा ने कहामैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ

 

Herb and spice vendor working (despite the pandemic). Santa Cruz Street, La Paz, Bolivia, 2020. Carlos Fiengo

कार्लोस फ़िएन्गो (बोलीविया), जड़ी-बूटियों और मसालों के विक्रेता, ला पाज़, बोलीविया, 2020.

 

कोलंबिया के अर्थशास्त्री और हाल ही में लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए कार्लोस फेलिप जारैमिलो ने कहा कि इस क्षेत्र में ग़रीबी उन्मूलन में पिछले बीस सालों में मिली कामयाबियाँ ख़त्म हो सकती हैं, कम-से-कम 5 करोड़ 30 लाख और लोग ग़रीब हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि, लैटिन अमेरिका के सामने, ‘जब से [आधुनिक] रिकॉर्ड रखे जा रहे हैं, यानी कम-से-कम लगभग 120 सालों में, सबसे बड़ा संकट आया है

जारैमिलो जो कह रहे हैं, उसके बारे में ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के नये डोसियर कोरोनाशॉक और लैटिन अमेरिका में स्पष्टता के साथ लिखा गया है। ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना) और साओ पाउलो (ब्राजील) में हमारे कार्यालयों द्वारा तैयार किए गए उपरोक्त डोसियर में, इस क्षेत्र के स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक संकटों का विश्लेषण किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के इकोनॉमिक कमिशन फ़ोर लैटिन अमेरिका एंड कैरेबियन के आँकड़ों पर आधारित ये डोसियर बताता है कि इस क्षेत्र में बेरोज़गारी, ग़रीबी और भूखमरी नियंत्रण से बाहर जाने वाली है। IMF का मानना है कि लैटिन अमेरिका की साल 2021 में वृद्धि दर बढ़ कर 3.7% हो जाएगी, लेकिन ये पूर्वानुमान महामारी के ख़त्म होने और वस्तुओं की उच्च क़ीमतों की वापसी पर आधारित है; इनमें कुछ भी वास्तविक होता नहीं दिख रहा।

हमारा डोसियर एक जो महत्वपूर्ण बात उजागर करता है, वो ये है कि वर्तमान परिस्थिति में जिस नीतिगत रूपरेखा को अपनाने की चर्चा हो रही है, उसमें असल में नवउदारवादी नीतियाँ ही हैं (जैसा कि हम लैटिन अमेरिका के संदर्भ में जारैमिलो के प्रस्ताव से समझ सकते हैं, किकम उत्पादकता का समाधान करने के लिए नवाचार, उद्यमिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देनेकी ज़रूरत है, जबकि असल समस्या जारैमिलो के खोखले शब्दों से कहीं बड़ा रोज़गार और भूखमरी का संकट है, जो वास्तव में उन्हीं नीतियों का परिणाम है जारैमिलो जिनकी सिफ़ारिश कर रहे हैं)

ब्यूनस आयर्स में हमारे कार्यालय के द्वारा किए गए पिछले अध्ययन (Nuestra América bajo la expansión de la pandemia, 22 जून) से पता चलता है कि लैटिन अमेरिका में हो रहे आर्थिक संकुचन को (अवमूल्यन चक्रों की बजाये) एक बेहतर मौद्रिक नीति और ऋण (जो कि आर्जेंटीना में GDP के 100% तक पहुँच गया है) रद्द किए बिना रोका नहीं जा सकता। महामारी से उजागर हो चुके संकट के कारणों के बावजूद, नवउदारवाद के धर्म में पारंगत राजनीतिक ताक़तें इसी सिद्धांत को अपना रही हैं; जैसे कि बजट कटौती, साउंड मनी (वो पैसा जो लम्बे समय तक क्रय शक्ति घटने या बढ़ने से अचानक प्रभावित नहीं होता), अनियंत्रित पूँजी बाज़ार, संतुलित बजट, निजीकरण और उदारीकृत व्यापार। इसलिए हमारे डोसियर का तर्क है कि इस क्षेत्र की सरकारें नवउदारवादी नीतियों में ही फँसी हुई हैं, वो नीतियाँ जोलोगों की रक्षा से पहले अर्थव्यवस्था की रक्षाको प्राथमिकता देती हैं।

 

 

अर्थव्यवस्था की रक्षा, ‘निजी संपत्ति के विचार की रक्षाकहने एक और तरीक़ा है। लोग भूखे हैं, और भोजन उपलब्ध है, तब भी लोगों को भोजन नहीं मिलता क्योंकि उनके पास पैसा नहीं है और क्योंकि भोजन अधिकार नहीं बल्कि एक वस्तु माना जाता है। सरकारें सामाजिक धन का इस्तेमाल लोगों को भोजन से दूर रखने के लिए सैन्य और पुलिस बलों को नियुक्त करने में करती हैं, ये हमारे सिस्टम की नीचता को बयान करता है। लैटिन अमेरिका के हालातों पर आधारित हमारा डोसियर इस मानवीय त्रासदी के समय में वैश्विक पूँजीवादी व्यवस्था की विफलता को उजागर करता है; मानवीय ज़रूरतों के ऊपर निजी संपत्ति के पूँजीवादी तर्क को रखने वाली कोई भी नवफ़ासीवादी या नवउदारवादी सरकार इस तबाही (जो इन नीतियों का भी परिणाम है) का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं रही।

 

 

 

साम्राज्यवादविरोधी संघर्ष का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह और ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान मिलकर एक पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। इसके पहले चरण में, कलाकारों नेपूँजीवाद’ पर अपनी समझ पोस्टर के रूप में चित्रित की। अब हम कलाकारों कोनवउदारवादके विषय पर पोस्टर बनाने का आह्वान करते हैं। नवउदारवाद की हमारी परिभाषा सरल है: धनी वर्ग पूँजीवाद के संकट से उभरने के लिए करों का भुगतान करने से इंकार कर देता है और सरकार पर दबाव डालकर नीतियों को अपने हितों की रक्षा के लिए बदल लेता है। दूसरी ओर सरकारें कल्याणकारी ख़र्चों में कटौती करती हैं, सार्वजनिक संपत्ति बेच देती हैं, व्यापार और वित्त पर लागू नियमों को ख़त्म कर देती हैं, और सार्वजनिक संपत्तिजैसे पानी और हवाबड़ी कम्पनियों को बेच देती हैं। हम कलाकारों को इस विषय पर पोस्टर बनाने का आग्रह करते हैं, आप 16 जुलाई तक [email protected] पर अपने पोस्टर भेज सकते हैं। यही वो अवधारणा है जिसकी नीतियाँ लैटिन अमेरिका के बिखरे हुए समाजों पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रही हैं।

 

 

महामारी और उसका प्रभाव: ब्रासील डे फाटो के साथ साक्षात्कार, 2020 (पुर्तगाली उपशीर्षकों के साथ अंग्रेज़ी में)

 

हाल ही में, ब्राजील के एक मीडिया पोर्टल ब्रासील डे फाटो ने मुझसे ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान के द्वारा कोरोनाशॉक पर किए गए अध्ययनों और COVID-19 के बाद के परिदृश्य पर बात की। साक्षात्कार में, मैंने हमारे संस्थान के काम के बारे में संक्षिप्त रूप में बताया है, और विशेष रूप से विकासशील दुनिया पर महामारी के प्रभाव के बारे में।

 

The MST organises the donation of fifty tons of food in the interior of Paraná, Brazil, April 2020. Wellington Lenon / MST

वेलिंगटन लेनन (ब्राजील), MST ने ब्राजील के अंदरूनी इलाक़े पराना में पचास टन भोजन के दान का आयोजन किया, अप्रैल 2020.

 

यह कल्पना करना मुश्किल है कि इस दयनीय स्थिति और आज के यथार्थ को बदलने के लिए लोग एकजुट होने के रास्ते नहीं ढूँढ़ पाएँगे। इसमें कुछ भी सैद्धांतिक बात नहीं है। हमारे जनआंदोलन राहत प्रदान करने के लिए और वैकल्पिक दुनिया बनाने के लिए पहले से ही नये रास्ते बना चुके हैं। महामारी द्वारा उजागर सड़ांध, भविष्य को भयावह बना देती है। हम जिस दुनिया में रहना चाहते हैं उसे बनाने का काम जब तक हम अपने हाथ में नहीं ले लेते भविष्य भयावह बना रहेगा

स्नेहसहित,

 

विजय।