प्यारे दोस्तों,

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान की ओर से अभिवादन।

6 जनवरी को दुनिया ने एक दिलचस्प तमाशा देखा। ऐसा लग रहा था मानो किसी काल्पनिक टेलीविज़न शो के पात्र अमेरिकी संसद पर क़ब्ज़ा कर रहे हों। अपनी सेना, ख़ुफ़िया एजेंसियों और पुलिस पर 1 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक ख़र्च करने के बावजूद, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों की भीड़ से हार गई। ये भीड़ बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के आई थी और पूरे देश में विद्रोह खड़ा नहीं कर सकी। लेकिन इस भीड़ ने जो स्पष्ट किया वो ये है कि संयुक्त राज्य अमेरिका गंभीर रूप से विभाजित है, और ये विभाजन दुनिया पर अपना वर्चस्व क़ायम रखने की अमेरिका के अभिजात्य वर्ग की क्षमता को कमज़ोर करता है।

दुनिया भर में लोगों ने ख़ुद कोदुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्रकहने वाले देश की सबसे बड़ी सभा में ट्रम्प की सेना का विचित्र तमाशा देखा। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एम्मरसन म्नांगग्वा ने एक सटीक ट्वीट किया; इस ट्वीट में उन्होंने अमेरिका द्वारा उनके देश पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को वाशिंगटन, डीसी में फैल रही अराजकता के साथ जोड़ा। उन्होंने 7 जनवरी को लिखा कि कैपिटल की घटना नेदिखा दिया है कि अमेरिका के पास लोकतंत्र बनाए रखने की आड़ में किसी दूसरे देश को दंडित करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। इन प्रतिबंधों को समाप्त होना चाहिए।वेनेजुएला की सरकार नेराजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ती हिंसापर चिंता जताते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका अब वो हालात ख़ुद अनुभव कर रहा है जोइनकी आक्रामकता की नीतियों के द्वारा अन्य देशों में उत्पन्न हुए हैं।

राष्ट्रपति म्नांगग्वा के द्वारा इस्तेमाल किया गया शब्दनैतिक अधिकारदुनिया भर में दोहराया जा रहा है: हाइब्रिड युद्ध के विभिन्न उपकरणों का इस्तेमाल कर किसी अन्य देश में लोकतंत्र कोबढ़ावादेने की बात वो देश कैसे कर सकता है जिसके अपने राजनीतिक संस्थान बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हों?

बड़े पैमाने पर काम की अनिश्चितता, लगातार कम होते वेतनों के कारण धन असमानता की सबसे ऊँची दरों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिकाअन्य पूँजीवादी देशों की तरहअपनी अर्थव्यवस्था और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। 1990 और 2020 के बीच अमेरिकी अरबपतियों की संपत्ति में 1,130% की वृद्धि हुई, जबकि अमेरिका में औसत धन केवल 5.37% ही बढ़ा (यह वृद्धि महामारी के दौरान और भी अधिक ध्यान देने लायक़ थी) इस सामाजिक और आर्थिक संकट से बाहर निकलने के उपाय अमेरिकी शासक वर्ग के पास नहीं हैं, जिसे अपने देश की जनता और दुनिया की आबादी की मुसीबतों की परवाह ही नहीं है। इसका एक उदाहरण है महामारी के दौरान दी गई मामूली आय सहायता, जबकि सरकार फुर्ती के साथ उन मुट्ठीभर लोगों के धन की रक्षा करने में जुट गई जो देश के धन के बड़े हिस्से पर क़ाबिज़ हैं।

अमेरिका का शासक वर्ग अपने देश की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सका है। आर्थिक और सामाजिक संकट का हल तलाशने के बजाय अमेरिकी शासक वर्ग इस संकट को राजनीतिक वैधता की समस्या के रूप में पेश कर रहा है। इस समय दुनिया के सामने एक ग़लत धारणा बनी हुई है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की सबसे बड़ी समस्या डोनाल्ड ट्रम्प और उनके भक्तों की सेना है; लेकिन ट्रम्प समस्या का लक्षण है, उसका कारण नहीं है। ट्रम्प के भक्त और बढ़ते ही रहेंगे, जब तक लगातार नियंत्रण से बाहर जा रहा सामाजिक और आर्थिक संकट गहराता जाएगा। अमेरिकी अभिजात्य वर्ग का बड़ा हिस्सा जो बाइडेन का समर्थन कर रहा है; उनका मानना है कि स्थिरता के द्योतक के रूप में बाइडेन व्यवस्था बनाए रखने और संयुक्त राज्य की वैधता को बहाल करने में कामयाब होंगे। उनका मानना है कि अमेरिका के सामने राजनीतिक वैधता का संकट है और  ना की सामाजिकआर्थिक संकट (जिसके लिए उनके पास कोई जवाब नहीं है) खड़ा है।

 

 

ट्राईकॉन्टिनेंटल: सामाजिक शोध संस्थान से जनवरी में जारी हुए डोज़ियर “Twilight: The Erosion of US Control and the Multipolar Future” में अमेरिका के प्रभुत्व में रही गिरावट का सवाल उठाया गया है। इस डोज़ियर का हिंदी संस्करणअवनति: अमेरिका के दबदबे का पतन और बहुध्रुवीय भविष्यजनवरी के अंतिम सप्ताह में जारी होगा। इराक के ख़िलाफ़ अमेरिकी युद्ध (2003) और ऋण संकट (2010) के बाद से ही संयुक्त राज्य अमेरिका की शक्ति और इसकी परियोजना की अवनति के पूर्वानुमान लगाए जा रहे हैं। इस बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी सैन्य श्रेष्ठता, वित्तीय और व्यापार प्रणाली के बड़े वर्गों पर अपने नियंत्रण (डॉलरवॉल स्ट्रीट कॉम्प्लेक्स) और सूचना नेटवर्क पर अपनी कमान के माध्यम से पुरज़ोर शक्तिप्रदर्शन जारी रखा है। 1940 के दशक के उत्तरार्ध में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की थी किसर्वाधिक शक्ति से [कुछ भी] कम का मतलब हार चुनना होगा।संयुक्त राज्य सरकार की प्रत्येक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में यह राजनीतिक उद्देश्य दोहराया जाता रहा है। पिछले दो दशकों में सामाजिकआर्थिक संकट ने अमेरिका के प्रभुत्व को कमजोर किया है, लेकिन अमेरिका की शक्ति कम नहीं हुई है। यही कारण है कि हमने हमारे डोज़ियर को अवनति का शीर्षक दिया गया है: हम अमेरिका के प्रभुत्व को धीरेधीरे कम होते देख रहे हैं, लेकिन अमेरिका की शक्ति में किसी प्रकार की कमी होती नज़र नहीं आती है।

पिछले दो दशकों के दौरान चीन ने अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल का विकास किया है; इसके परिणामस्वरूप चीन के विकास में काफ़ी तेज़ी आई है। पिछले कुछ वर्षों में चीनी वैज्ञानिकों ने किसी भी और देश के वैज्ञानिकों की तुलना में अधिक शोधपरक लेख (पियररिवीयूड पेपर) लिखे हैं और चीन के वैज्ञानिकों और फर्मों ने किसी अन्य देश के वैज्ञानिकों और फर्मों की तुलना में कहीं अधिक पेटेंट दर्ज किए हैं। इन बौद्धिक विकासों के परिणामस्वरूप चीन की फर्मों ने प्रमुख तकनीकी सफलता अर्जित की हैं; जैसे कि सौर ऊर्जा, रोबोटिक्स और दूरसंचार क्षेत्र में। चीन की जनता की उच्च बचत दर ने चीन की सरकार और चीन की निजी पूँजी को विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर निवेश करने में सक्षम बनाया है; इससे चीन के उच्च तकनीकी उद्योगों में वृद्धि हुई है, और जिन्होंने सिलिकॉन वैली की फ़र्मों को गंभीर चुनौती दी है। इसी चुनौती के कारण इस डोज़ियर में हमने स्पष्ट किया है कि अमेरिकी शासक वर्ग चीन को रोकने के सभी ख़तरनाक प्रयास कर रहा है; ओबामा कीएशिया धुरीऔर ट्रम्प के व्यापार युद्ध दोनों ही में सेना एक संघटक अंग रही है और इनमें एशिया के आसपास के समुद्री क्षेत्र में सामरिक परमाणु हथियार को तैनात करना शामिल था।

 

The War in Eurasia

अमेरिका के भीतर की बड़ी सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के बजाय, इसका शासक वर्ग चीनविरोधी बयानबाज़ियाँ कर के जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटा रहा है। जनता पूछती है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार की स्थिति इतनी ख़राब क्यों है? ट्रम्प समर्थक या ओबामा प्रशासन को बेहतर मानने वाले सभी अभिजात्यों का जवाब होता है, चीन की वजह से। कोविड-19 ने संयुक्त राज्य में ऐसा क़हर क्यों बरपाया, और दुनिया में कोविड– 19 से होने वाली सबसे ज़्यादा मौतें अमेरिका में क्यों हुई? ट्रम्प ने कहा, चीन की वजह से। हालाँकि बाइडेन नरम लहजे में ऐसी ही बातें करते हैं। अमेरिकी शासक वर्ग की सामान्य नीति यही है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर की हर समस्या के लिए चीन को दोषी ठहराना; चीन के उदय को संयुक्त राज्य अमेरिका की हर विफलता का बहाना बताना।

ट्रम्प ने चीन के ख़िलाफ़ ओबामा के क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) का इस्तेमाल किया, जबकि बाइडेन ने चीन के ख़िलाफ़लोकतंत्र का व्यापक गठबंधन‘ (क्वाड और यूरोप) बनाने का वादा किया है। अमेरिकी शासक वर्ग का कोई भी ख़ेमा सरकार बनाए, ये सभी नेता अपनी विफलताओं की ज़िम्मेदारी चीन पर ही थोप देना चाहते हैं। यह एक कुटिल और ख़तरनाक रणनीति है क्योंकिजैसा कि हमने डोज़ियर में लिखा हैअमेरिका अच्छी तरह से जानता है कि चीन का आर्थिक विकास अमेरिका के लिए एक गंभीर चुनौती है, लेकिन चीन के पास सेना है और ही चीन की दुनिया पर वर्चस्व स्थापित करने की कोई अहम राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। हालाँकि, अमेरिकी शासक वर्ग अपनी सर्वाधिक शक्ति की रक्षा के लिए प्रलयकारी युद्ध का जोखिम उठाने को तैयार है।

 

TBT: Ricardo Silva Soto

                                                  <टीबीटी: रिकार्डो सिल्वा सोटो>

1972 में, जब चिली में सल्वाडोर ऐलेंदे की समाजवादी सरकार पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने जानलेवा दबाव बनाया, तो कवि निकानोर पार्रा ने लिखा:

संयुक्त राज्य अमेरिका: वो देश जहाँ

स्वतंत्रता एक मूर्ति है।

इसके एक साल बाद अमेरिकी सरकार ने जनरल ऑगस्टो पिनोशे से कहा कि वे बैरकों को छोड़कर, ऐलेंदे की सरकार को उखाड़ फेंकें, और तानाशाह सरकार बनाएँ। ये तानाशाह सरकार 17 साल तक सत्ता में रही। तख़्तापलट होने से तीन साल पहले CIA के योजना निदेशक ने लिखा था, ‘यह दृढ़ और सतत नीति है कि ऐलेंदे को तख़्तापलट से हटा दिया जाए। यह आवश्यक है कि इन कार्यों को गुप्त और सुरक्षित रूप से किया जाए ताकि [संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार] और अमेरिकी हाथ पूरी तरह से छिपे रहें।’ ‘अमेरिकी हाथ पूरी तरह से छिपे रहेंको सुनिश्चित करने की यह नीति हाइब्रिड युद्ध तकनीकों का हिस्सा भी है, जिसे हमने डोज़ियर में रेखांकित किया हैं।

बहादुर महिलाओं और पुरुषों ने पिनोशे तानाशाही को उखाड़ फेंकने के लिए संघर्ष किया। इस संघर्ष में बहुत से लोगों ने अपनी जानें गवाईं। इन्हीं में से एक थे रिकार्डो सिल्वा सोटो, एक युवा जिसे फुटबॉल खेलना पसंद था और जो चिली विश्वविद्यालय के रासायनिक विज्ञान और फ़ार्मेसी संकाय में अपनी पढ़ाई कर रहा था। वह चिली की मैनुअल रोड्रिग्ज़ पैट्रियोटिक फ़्रंट (FPMR) की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने; ये पार्टी तानाशाही का विरोध करती थी। जून 1987 में, सिल्वा सोटो के साथ कई लोगों को ऑपरेशन अल्बानिया में बेरहमी से मार डाला गया। चिली के मानवाधिकार आयोग और विकारिया डे ला सॉलिडारिडाड ने पाया कि सैंटियागो के कोंचली मोहल्ले में 582 पेड्रो डोनोसो स्ट्रीट पर स्थित उनके सुरक्षित घर के अंदर से कोई गोलियाँ नहीं चलाई गई थीं; विद्रोहियों पर बिलकुल करीब से गोलियाँ चलाई गईं थीं। पास के रेकोलेटा में सिल्वा सोटो के नाम से लोगों के लिए एक फ़ार्मेसी चलती है। यह फ़ार्मसी 2015 में मेयर डैनियल जैडु ने खोली थी, जैडु अब चिली में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। इस फ़ार्मेसी के निर्माण के बाद चिली एसोसिएशन ऑफ़ पॉपुलर फ़ार्मेसीज़ (ACHIFARP) की स्थापना हुई और चिली में 94 नगरपालिकाओं में इस तरह के दवाख़ाने खोले गए। इन दवाख़ानों ने कोविड-19 के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिकार्डो सिल्वा सोटो को मारा गया ताकि दुनिया को साँस लेने से रोक दिया जाए; उनका नाम अब एक मुहिम से जुड़ गया है जो दुनिया के लोगों को जीवित रहने में मदद करती है।

6 जनवरी की घटना पर दुनिया की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभुत्व काफ़ी कम हुआ है। बाइडेन अमेरिका के प्रभुत्व को पुन:स्थापित करने के लिएहाइब्रिड युद्ध सहितहर क़दम उठाएँगे। लेकिन इसके सफल होने की संभावना नहीं है। पार्रा की कविता 1972 की विडंबना के बारे में लिखी गई थी; आज ब्लैक लाइव्स मैटर में दुनिया की बढ़ती रुचि और श्वेत वर्चस्ववादी ट्रम्पसमर्थक भीड़ के सार्वजनिक प्रदर्शन के बाद, पार्रा की कविता आज की वास्तविकता का सटीक विवरण पेश करती है।

अमेरिका के पास अपना प्रभुत्व पुन:स्थापित करने के लिए पर्याप्त संसाधन है। रिकार्डो सिल्वा सोटो जैसे लोगों की याद में लड़े जाने वाले भविष्य के संघर्ष कठिन और जोखिमों से भरे होंगे। लेकिनमानवता को बचाने के लिएये संघर्ष लड़े जाने ज़रूरी हैं।

स्नेहसहित,

विजय

मैं हूँ ट्राइकॉन्टिनेंटल, सुबिन डेनिस, शोधार्थी, भारत कार्यालय। 

मैंने हाल ही में भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के सौ साल पर केंद्रित एक डाज़ियर पर काम किया है, जिसके लिए मैंने सामग्री संकलन और संयोजन के काम में मदद की है। अभी मैं आने वाली किताब कम्युनिस्ट इतिहास, खंड 2 के संपादन के काम में लगा हूँ, जिसमें भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन पर एक लेख शामिल किया गया है।